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दिनांक: 04.05.2013 शनिवार
सुषमा बनाम रेशमा !!
दो महिलाऐं, दो नाम इनमें कोई समानता न होने के बाद भी वर्तमान परिपेक्ष्य में इनकी तुलना आवश्यक है !
पहला – बड़ा नाम, बड़े काम I साधन सम्पन्न, सुविधा भोगी I भाषण की कला में माहिरI राष्ट्रीयता, देश भक्ति, ईमानदारी और नैतिकता पर बड़े-बड़े उपदेशI भ्रष्टाचार के विरुध्द मुखर, परंतु कर्नाटका और आन्ध्रा में प्राकृतिक सम्पदा के सबसे बड़े लुटेरों के भ्रष्टाचार पर मौन, पतिवृत्ता धर्म का पालन करती हुई I कारण, पतिदेव इन लुटेरों की कम्पनियों के क़ानूनी सलाहकार के मेहनताने के रूप में मोटी रक़म पाते रहे हैं और पति परमेश्वर जो ठहरे I
दूसरा – गुमनाम, दो वक़्त की रोटी के लिये भी संघर्ष करती हुई I 2002 के दंगों का दंश झेलने के बाद अगर पति बदले की भावना से विस्फोटक लेकर निकला तो सीना तानकर खड़ी हो गई पति के खिलाफ I शहर वालों को बचाने के लिये जान की बाज़ी लगा दी, पति को घर से बाहर नहीं निकलने दिया I पुलिस को बुलाकर पति को उनके हवाले कर दिया और आज तक जेल में मिलने नहीं गई I बड़ी स्वाभिमानी है, बच्चों की अच्छी परवरिश के लिये टयूशन और मेहनत मज़दूरी कर रही है I
हमेशा पांच करोड़ गुजरातियों की बात करने वाले नेता ने भी इस बहादुर गुजराती औरत की सुध लेना तो दूर, आज तक सार्वजनिक रूप से प्रशंसा के दो शब्द नहीं कहे I
अब इन दोनों महिलाओं की बहादुरी, ईमानदारी, राष्ट्रीयता, देश भक्ति और नैतिकता की तुलना कीजिये, और बताईये कौन किस पर भारी है? क्या हमने रेशमा के साथ इंसाफ किया?
रेशमा, तुझ पर हमारी ज़िन्दगीयां न्योछवर, तू ही हम हिन्दुस्तानियों की सच्ची रहबर है I तू हमारे लिये हमेशा मशअले राह रहेगी, कोशिश करेंगे हम तेरे किसी काम आ सकें I तुझ पर हज़ारों सलाम !!
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