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26/11 आतंकी हमला: पीड़ितों को हार्दिक संवेदनायें और शहीदों को हार्दिक श्रद्धांजलि! दिनांक़:26.11.2015
शहीद हेमंत करकरे और उन जैसे अन्य बहादुर सुरक्षा कर्मियों के हत्यारे – भारत में आतंकवाद का असली चेहरा !!
आज मुंबई आतंकी हमले की सातवीं बरसी पर मुम्बई ने मरीन लाइंस स्थित पुलिस जिमखाना में शहीदों को श्रद्धांजलि दी, जहां आतंकियों से लड़ते हुए अपने प्राण न्यौछावर वाले पुलिसकर्मियों की याद में एक 26/11 स्मारक बनाया गया है। इस हमले के बाद जिंदा बचे एकमात्र पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को पुणे की यरवदा जेल में 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई थी। लेकिन बाक़ी आज़ाद घूम रहे हैं।
आज सम्पूर्ण देश और सभ्य समाज भी 26/11 के पीड़ितों और शहीदों को हार्दिक श्रद्धांजलि दे रहा है। 26/11 हमें यह भी याद दिला रहा है कि बात-2 पर अपने ही देश वासियों पर हमला करने और डींगे हांकने वाली पार्टियों के शेरदिल (?) जुमलेबाज़ नेता और कार्यकर्ता किस तरह मुम्बई में चूहों की तरह अपने बिलों मे घुसे रहे थे। आतंकवादियों को मुंह तोड जवाब देने की घर से निकलने की कोई नहीं निकलने की हिम्मत जुटा सका था। तीन दिन सबको सांप सूंघ गया था। सिवाय बहादुर सुरक्षाकर्मियों के।
एक सच्चे देश भक्त हिन्दुस्तानी होने के नाते हमारा मानना है कि इस हमले में शहीद हेमंत करकरे और उन जैसे अन्य बहादुर सुरक्षा कर्मियों के हत्यारे कौन? इनको क्यों मारा गया ? इसका मास्टर माइण्ड कौन था? जब तक इनका सही पता नहीं चलता, भारत में आतंकवाद का असली चेहरा सामने आ ही नही सकता।
केवल पाकिस्तान, दाऊद इब्राहिम, हाफिज़ सईद, ज़की उर रहमान लखवी, अबु जुन्दाल, इंडियन मुजाहिदीन, लश्करे तैय्यबा आदि संगठनों पर आतंकवाद का ठीकरा फोड़ कर इतिश्री कर लेना, न केवल अपने आप को समाज और देश को धोखा देना है बल्कि वास्तिविकता से आंखें चुराना भी है। ये तो खुले दुश्मन हैं हमारे प्यारे अज़ीम मुल्क हिन्दुस्तान के, इनके साथ ही हमें राष्ट्र भक्ति का चोला ओढे, छ्दम राष्ट्रवादियों और उनकी वबाली मंडली जैसे आस्तीन के सांपों को पहचान कर उन पर भी बिना भेद भाव के देर सवेर कार्यवाही करनी ही होगी।
26/11 आतंकी हमले के पीड़ितों और शहीदों को हार्दिक और सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि शहीद हेमंत करकरे, अशोक कामटे, विजय सालिस्कर, सन्दीप उन्नीकृष्णन, तुकाराम ओम्बले और उन जैसे अन्य बहादुर सुरक्षा कर्मियों के हत्यारों और उनके आक़ाओं का पता लगाकर उन्हें सरेआम फांसी दी जाये।
सभी शहीदों को सलाम।
सैयद शहनशाह हैदर आब्दी
वरिष्ठ समाजवादी चिंतक
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