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‘संघी विकास’ का, उसके अपनों और रिज़र्व बैंक द्वारा गर्भपात।
संघी, मुसंघी और ई-संघी बड़ा हल्ला काटे पड़े थे विकास, विकास और विकास के आगमन का।
लेकिन अफ़सोस जब विकास के चाचा (अमित शाह) ने अपने ही भाईयों (भाजपाई सांसदों) से संघी विकास के बारे में पूछा तो सभी अनजान नज़र आये। रिज़र्व बैंक पहले ही ‘विकास’ को निकाल फेंक चुका है।
अफवाह फैलाना, लव जिहाद, गौ रक्षा, साम्प्रदायिकता, आतंकवाद, नफरत की सियासत, धर्म परिवर्तन, घर वापसी, बैँकों से अरबों रूपये की लूट और देश छोड़कर भागने देना, प्रत्येक खाते में काला धन के 15 लाख रूपये, जन्मजात मुस्लिम विरोध, विरोधियों का चरित्र हनन, सफ़ेद झूठ, भ्रष्टाचार, अपराध और मंहगाई जैसी अन्य कई संघी औलादों से तो सभी परिचित थे।
लेकिन विकास? यह कौन है? भाजपा सांसद ही पूछ बैठे।
अब विकास के तथाकथित पिता (मोदीजी) जी कह रहे हैं-भाइयों और बहनों, और चाचा (अमित शाह जी) जी कह रहे हैं-मित्रों, अपनों ने ही विकास का गर्भपात करा दिया।रिज़र्व बैंक ने तो इसकी पूरी सफाई कर “विकास शील” का टैग भी हटा दिया है।
हाय रे, संघी, मुसंघी और ई-संघियों की मजबुरी? शायद कैराना या इस जैसा कोई दूसरा शगूफा ही, उत्तर प्रदेश में कुछ नैय्या पार लगा दे?
लेकिन क्या करें, प्रदेश की जनता कमबख्त बहुत जागरूक हो गयी है। वो अब संगीत सोम जैसों का संगीत बेसुरा करने और संजय बालियान जैसों को बल्लियों पर बैठाने पर आमादा है।
सैयद शहनशाह हैदर आब्दी
समाजवादी चिंतक – झांसी।
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