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भारत की प्रथम बहादुर धर्म निरपेक्ष महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जन्म दिवस पर कृतज्ञ राष्ट्र की श्रृध्दांजलि।

SHAHENSHAH KI QALAM SE! शहंशाह की क़लम से!
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भारत की प्रथम बहादुर धर्म निरपेक्ष महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जन्म दिवस पर कृतज्ञ राष्ट्र की श्रृध्दांजलि।

इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं, बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वह विलक्षण प्रभाव छोड़ गईं और “लौह महिला” कहलाई।

श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में इनका जन्म 19 नवम्बर, 1917 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के आनंद भवन में बौध्दिक और आर्थिक रूप से सम्पन्न नेहरु ख़ानदान में हुआ था।

इनका पूरा नाम है- ‘इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी’। इनके पिता का नाम जवाहरलाल नेहरू और दादा का नाम मोतीलाल नेहरू था। पिता एवं दादा दोनों वकालत के पेशे से संबंधित थे और देश की स्वाधीनता में इनका प्रबल योगदान था। इनकी माता का नाम कमला नेहरू था जो दिल्ली के प्रतिष्ठित कौल परिवार की पुत्री थीं। इंदिराजी का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था जो आर्थिक एवं बौद्धिक दोनों दृष्टि से काफ़ी संपन्न था। अत: इन्हें आनंद भवन के रूप में महलनुमा आवास प्राप्त हुआ। इंदिरा जी का नाम इनके दादा पंडित मोतीलाल नेहरू ने रखा था। यह संस्कृतनिष्ठ शब्द है जिसका आशय है कांति, लक्ष्मी, एवं शोभा। इनके दादाजी को लगता था कि पौत्री के रूप में उन्हें माँ लक्ष्मी और दुर्गा की प्राप्ति हुई है। पंडित नेहरू ने अत्यंत प्रिय देखने के कारण अपनी पुत्री को प्रियदर्शिनी के नाम से संबोधित किया जाता था।

जवाहरलाल नेहरु और कमला नेहरु स्वयं बेहद सुंदर तथा आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक थे,इस कारण सुंदरता उन्हें अपने माता-पिता से प्राप्त हुई थी। इसलिए नेहरू जी उन्हें प्रियदर्शिनी के नाम से भी पुकारते थे। उनका घरेलू नाम ‘इंदु’ था। इन्दिरा को उनका ‘गांधी’ उपनाम फिरोज़ गांधी से विवाह के बाद मिला था। फिरोज़ गांधी पारसी थे, मुसलमान नहीं।

इंदिरा गांधी को बचपन में भी एक स्थिर पारिवारिक जीवन का अनुभव नहीं मिल पाया था। इसकी वजह यह थी कि 1936 में 19 वर्ष की उम्र में ही उनकी मां कमला नेहरू का तपेदिक के कारण एक लंबे संघर्ष के बाद निधन हो गया था और पिता हमेशा स्वतंत्रता आंदोलन में व्यस्त रहे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू शिक्षा का महत्त्व काफ़ी अच्छी तरह समझते थे। यही कारण है कि उन्होंने पुत्री इंदिरा की प्राथमिक शिक्षा का प्रबंध घर पर ही कर दिया था। लेकिन अंग्रेज़ी के अतिरिक्त अन्य विषयों में बालिका इंदिरा कोई विशेष दक्षता नहीं प्राप्त कर सकी। तब इंदिरा को शांति निकेतन स्कूल में पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ उसके बाद उन्होंने बैडमिंटन स्कूल तथा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया। लेकिन इंदिरा ने पढ़ाई में कोई विशेष प्रवीणता नहीं दिखाई। वह औसत दर्जे की छात्रा रहीं।

लेकिन इसके बावजूद उन्होंने भारतीय राजनीति पर ऐसी अमिट छाप छोड़ी कि विरोधियों को भी उन्हें मां दुर्गा का अवतार मानना पड़ा। जुमले बाज़ी से हमेशा दूर रह कर, वो जो कहती, उसे कर दिखाती थीं।

आज इंदिरा गांधी को सिर्फ इस कारण नहीं जाना जाता कि वह पंडित जवाहरलाल नेहरु की बेटी थीं बल्कि वह अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए ‘विश्वराजनीति’ के इतिहास में हमेशा जानी जाती रहेंगी।

बीबीसी पर रेहान फ़ज़ल ने एक रिपोर्ट में बताया,” भला ये कैसे हो सकता है कि एक प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाकर धर्मभीरू सिखों को आहत कर दिया हो और जब खुफिया रिपोर्ट उनकी टेबल पे आए कि सिख सुरक्षाकर्मी उनकी जान के लिए ख़तरा हो सकते हैं तो प्रधानमंत्री उस फाइल पर सिर्फ तीन शब्द लिखें- Aren’t we secular? क्या हम धर्म निरपेक्ष नहीं हैं?”

इतना बड़ा दिल, इतनी हिम्मत और देश की संस्कृति और इसके मिजाज़ के समझने का ऐसा नज़रिया सिर्फ इंदिरा गांधी के पास हो सकता था, जिन्होंने अपना बचपन बापू के साए में बिताया था। वो जानती थीं कि अगर धर्म के नाम पर उन्होंने सिख सुरक्षाकर्मियों को अपनी सिक्योरिटी से हटाया तो इतिहास हमेशा ये लिखेगा कि देश के प्रधानमंत्री ने धर्म के नाम पर अपने सुरक्षा गार्डों से भेदभाव किया। ये जानते हुए कि तत्कालीन परिस्थितियों में उनकी जान को गंभीर खतरा है, उन्होंने राजधर्म का पालन किया। ये मामूली बात नहीं है।

आज जब छोटे से छोटा टुटपुंजिया राजनेता ओछी राजनीति के लिए धर्म का खुलेआम बेजा इस्तेमाल करता है और धर्म के नाम पर जनता में ज़हर बोता है और फिर अपनी सुरक्षा में सैकड़ों जवान लिए घूमता है कि कहीं कोई उनको मार ना दे। इस भीड़ में इंदिरा जी एक मिसाल थीं, आदर्श थीं और अपने आदर्श के लिए उन्होंने अपनी जान तक की परवाह नहीं की।

पता नहीं क्यों आज मैं ये कहने का साहस कर रहा हूं कि स्वर्गीय इंदिरा गांधी की हत्या नहीं की गई थी, उन्होंने आत्महत्या की थी, देश की एकता और अखंडता के लिए। ये कोई सोच भी सकता है भला कि प्रधानमंत्री को उन्हीं की सुरक्षा में तैनात जवान 28-30 गोली मार के उनके जिस्म को छलनी-छलनी कर सकते हैं?? वो भी तब जब सैकड़ों सिक्युरिटी लेयर से गुज़रने के बाद इन जवानों को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगाया जाता है। इंदिरा गांधी के लिए बहुत आसान था कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद वो सिख सुरक्षाकर्मियों को अपनी सिक्योरिटी से हटा देतीं, वो भी तब जब इस बाबत खुफिया रिपोर्ट उनकी टेबल पर थी, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया।

आगे की कहानी तो और दर्दनाक है, खून से लथपथ प्रधानमंत्री को एम्स ले जाया जा रहा है और उनका सिर बहू सोनिया गांधी की गोद में है।सोनिया का पूरा गाउन इंदिरा के खून से सनकर लाल हो चुका है। उस दृश्य की जी रही सोनिया के दिलोदिमाग पर क्या असर पड़ा होगा? ये बस अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है। फिर जब मृतप्राय इंदिरा जी को लेकर कार एम्स पहुंची तो पता चला कि देश के प्रधानमंत्री को गोलियों से छलनी करने की ख़बर किसी ने एम्स को नहीं दी ताकि स्टैंड बाई में उनके लिए डॉक्टर और इमरजेंसी सेवाएं खड़ी रहतीं। सिर्फ गेट खुलवाने में 3-4 मिनट का क़ीमती समय बर्बाद हो गया।इतनी सादगी, इतना समर्पण !!! वो देश की सबसे ताक़तवर और लोकप्रिय प्रधानमंत्री थीं, जिसने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए, कोई मज़ाक़ नहीं था। और जब वो ज़िंदगी मौत से जूझ रही थीं तो देश की राजधानी में उन तक इमरजेंसी मेडिकल सर्विस भी वक़्त तक नहीं पहुंचीं, बहुत अफसोसनाक और दर्दनाक है ये सब कुछ।

उनकी कमी देश ही नहीं, विश्व आज भी महसूस कर रहा है। उनके क़द का राजनेता आज दूर दूर तक दिखाई नहीं देता।

अफ़सोस, देश की राजनीति इस हद तक गिर सकती है कि देश के हुक्मरानों को उन्हें श्रृद्धांजलि के दो शब्द कहने की भी फ़ुर्सत नहीं।

और अंत मे यशस्वी प्रधानमंत्री और अटल जी के शब्दों में -दुर्गा- यानी स्वर्गीय इंदिरा गांधी को मेरा नमन ।

देश का नाम दुनिया में रोशन करने वाली, ऐसी अज़ीम शख़्सियत को लाखों सलाम।

सैयद शहनशाह हैदर आब्दी
समाजवादी चिंतक-झांसी।

images इंदिरा जी

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